> काव्य-धारा (Poetry Stream): जीवन, प्यार और आत्मा-झलक : एक कमल खिलायेंगे

शनिवार, 7 फ़रवरी 2015

एक कमल खिलायेंगे


आज हम इंसाफ करेंगे
झूठे मक्कारों को सजा देंगे
भगोडों को भगा देंगे
हाथ की जरूरत नहीं
शब्दों से वार करेंगे
झाडू तो लग चुकी
उसे किनारे रख देंगे
खिडकियों को खोल देंगे
सूरज के घर से चली
किरण का स्वागत करेंगे
अपनी बगिया को सजायेंगे
एक कमल खिलायेंगे
जनजीवन महकायेंगे।
(स) हेमंत कुमार दुबे
www.poetrystream.blogspot.com
www.hemantdubey.com

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