> काव्य-धारा (Poetry Stream): जीवन, प्यार और आत्मा-झलक : सिर्फ तुम्हारे लिए

शुक्रवार, 20 सितंबर 2013

सिर्फ तुम्हारे लिए



होंठों से जो गीत लिखता हूँ सिर्फ तुम्हारे लिए
सुन कानों से ह्रदय में संभाल लेना प्रिये मेरी
सोना-चांदी-हीरे-जवाहरात नहीं देने को तुम्हें
हवा की तरंगों पर लिख भेजी दास्ताँ सुनहरी|

(c) हेमंत कुमार दूबे

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