> काव्य-धारा (Poetry Stream): जीवन, प्यार और आत्मा-झलक : माँ रोज मिलती है

शुक्रवार, 20 सितंबर 2013

माँ रोज मिलती है



वो मुझसे हररोज मिलती है
कानों में प्यार भरे शब्द कहती है
मुझे निहारती और दुलारती है
कोमल कर स्पर्श से थकान हरती है
'हेमंत' माँ दूर दराज गाँव में रहती है
पर सपनों में तो सदा पास होती है|

(c) हेमंत कुमार दूबे
http://poetrystream.blogspot.com/

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