> काव्य-धारा (Poetry Stream): जीवन, प्यार और आत्मा-झलक : निष्कपट प्यार

शुक्रवार, 15 मार्च 2013

निष्कपट प्यार




उसे मेरी जरूरत नहीं है
फिर भी उसके पास रहता हूँ
जाने कब जरूरत पड़ जाये उसे
और उस समय मैं ना रहूँ
वह तकलीफ पाए
और वह तकलीफ
जिंदगी भर का दर्द दे जाए
उसे और मुझे

कोई तो समझाये उसे
दुत्कार सहकर भी चिपकना
निगाहों में रखना
मेरा स्वार्थ नहीं
निष्कपट प्यार है|

(c) हेमंत कुमार दुबे

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