> काव्य-धारा (Poetry Stream): जीवन, प्यार और आत्मा-झलक : सच्ची दिवाली

मंगलवार, 13 नवंबर 2012

सच्ची दिवाली



ज्ञान हो जाये आत्मा-ज्योति का
परम-ज्योति में हो स्थिति
चाह घटे नश्वर संसार की
शाश्वत में हो जाये प्रीति

आतिशबाजी बहुत हो गयी
बँट गईं मेवे-मिठाईयां भी
जलाएँ दीपमाला भीतर की
होगी सच्ची दिवाली तभी  |

(c) हेमंत कुमार दूबे

=> दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ !!

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