> काव्य-धारा (Poetry Stream): जीवन, प्यार और आत्मा-झलक : प्रार्थना

रविवार, 22 जुलाई 2012

प्रार्थना






जब देखता हूँ मित्र,
तुम्हारा चमकता-दमकता चेहरा,
पूनम का चाँद,
जैसे धरती पर उतर आया हो |

प्रकट हुए जब भी,
तुम्हारे गुलाबी होंठों से,
कमल नेत्रों के इशारों में,
कोई वचन,
मेरा भला ही हुआ |

धन्यवाद प्रभु,
तुमने सच्चा दोस्त दिया,
विश्वास-पात्र मित्र,
सुख-दुःख का साथी दिया |


खूबसूरत रचनाओं के लिए,
मधुर संबंधों के लिए,
अनमोल तोहफे के लिए,
सच्ची दोस्ती के लिए,
गर्माहट देती जो सर्दियों में,
शीतल छाया गर्मियों में,
उज्वल करती पथ मेरा,
बारंबार,
मेरे प्रभु, धन्यवाद|


फुसफुसाते होठों से,
जुड़े हुए हाथों से,
प्रार्थना है –
हे सर्वशक्तिमान,
संसार के मालिक !

जबतक सूरज-चाँद रहें,
मेरा मित्र रहे,
स्वस्थ-प्रसन्न,
सुख-शांति हो घर-परिवार में,
विद्वता और कीर्ति फैले,
सारे संसार में |

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