> काव्य-धारा (Poetry Stream): जीवन, प्यार और आत्मा-झलक : गणतंत्र दिवस मनाना है

गुरुवार, 26 जनवरी 2012

गणतंत्र दिवस मनाना है



गणतंत्र दिवस जब हम मनाते है,

राष्ट्रीय-गान जब गाते हैं,

रेडियो या टीवी पर देख-सुन

बहादुर बच्चों को, जांबाजों को,

हथियारों के प्रदर्शन को,

रंग-बिरंगी झांकियों को,

पारंपरिक नृत्यों को,

कुछ पल के लिए ही सही,

देश से जुड़ जाते हैं|



देशभक्ति तो सबके अंदर है,

अपनी आत्मा की तरह,

पर प्रतिदिन उसका गला घोंटने,

उसको मारने का काम,

हमलोग ही तो करते हैं|



गणतंत्र दिवस हम मनाएंगे,

अपने लिए,

अगली पीढ़ी के लिए,  

क्योंकि जीने के लिए

जैसे जरूरी है साँसें,

उसी तरह जरूरी है देश-प्रेम,

थोडा सी सही,

पर निश्चित तौर पर|



क्योंकि तभी तो

देश के नौनिहाल आगे बढ़ेंगे,

थामेंगे तिरंगा,

पहनेंगे फिर गाँधी टोपी,

अन्ना, अरविन्द या किरण के संग,

मिल कर बोलेंगे –

भष्टाचार मिटाना है|



गणतंत्र दिवस मनाना है,

देश-भक्ति को जगाना है,

क्योंकि देश से ही,

वजूद है हमारा|


(c) हेमंत कुमार दुबे

2 टिप्‍पणियां:

  1. क्योंकि , देश से ही , वजूद है हमारा ,
    इसलिए.... !!
    अन्ना, अरविन्द या किरण के संग,
    मिल कर बोलेंगे , भष्टाचार मिटाना है,
    तब खुशियाली से , गणतंत्र दिवस हम मनाएंगे.... !!!!

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